मधुमेह की दवा से मुंह मे छाले, चुने सागौन के वृक्ष बिना कीड़ों वाले
मधुमेह (डायबीटीज) पर पंकज अवधिया का साप्ताहिक स्तम्भ
बुधवार 20 जून, 2018
मधुमेह की दवा से मुंह मे छाले, चुने सागौन के वृक्ष बिना कीड़ों वाले
कुछ वर्षों पूर्व दवा बनाने वाली एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के वैज्ञानिक दल के प्रमुख ने मुझसे परामर्श के लिए समय मांगा।
जब वे मुझसे मिलने आए तो उन्होंने बताया कि उन्होंने लंबे रिसर्च के बाद मधुमेह के उपचार के लिए एक कारगर फार्मूला विकसित किया है।
जिसमें 35 प्रकार की जड़ी बूटियां है।
जब उन्होंने इस फार्मूले को चूहे, खरगोश जैसे प्रयोगशाला जीवो पर आजमाया तो उन्हें आश्चर्यजनक सफलता मिली।
पर जब इसे मनुष्यों पर आजमाया गया तो बाकी सब तो ठीक रहा पर इसके प्रयोग से मुंह में छाले होने लगे और साथ ही मुंह से सभी प्रकार का स्वाद समाप्त हो गया।
स्वाद की समाप्ति अपितु अस्थायी आई थी पर यह फार्मूले का एक बहुत बड़ा दोष था।
इसी दोष को दूर करने के लिए वैज्ञानिक प्रमुख मुझसे चर्चा करने के लिए आए थे।
मैंने फार्मूले की जांच की।
उनसे उनके रिसर्च के बारे में विस्तार से जानकारी ली।
मुझे यह फार्मूला बेहद कारगर लगा।
सारी जड़ी बूटियां ठीक ढंग से इस में प्रयोग की गई थी और मधुमेह के लिए यह एक वरदान के समान था।
मैंने उन्हें सलाह दी कि हो सकता है कि जिन स्थानों से आप जड़ी-बूटियां एकत्र कर रहे हो उनमें कोई दोष हो इसलिए एक बार आप मेरे बताए हुए स्थानों से और विधियों से जड़ी बूटियों का एकत्रण करें और उसके बाद फार्मूला बनाकर फिर अपना प्रयोग जारी रखें।
उन्होंने ऐसा ही किया पर उन्हें सफलता नहीं मिली।
फार्मूले का दोष वैसे ही का वैसा रहा।
अगली बार जब मुझसे मिलने आए तो मैंने उनसे कहा कि इस बार जब आप जड़ी बूटियां एकत्र करने जाएं तो मुझे साथ में ले ले ताकि मैं पूरी तरह से एकत्रण पर नजर रख सकूं।
वे तैयार हो गए।
इस फार्मूले में सागौन की पत्तियों का उपयोग किया गया था मुख्य घटक के रूप में।
जब हम सागौन के एकत्रण के लिए घने जंगलों में पहुंचे तो मैंने देखा कि सागौन के वृक्षों में स्केल इंसेक्ट (Scale insects) नामक कीट बहुत अधिक संख्या में थे।
मुझे अचानक ही बस्तर के पारंपरिक चिकित्सकों द्वारा बताई गई यह बात याद आ गई कि जब भी सागौन की पत्तियों का प्रयोग पारंपरिक नुस्खों में किया जाए तब इस बात का ध्यान रखा जाए कि वह पूरी तरह से इस कीट से मुक्त हो अन्यथा सागौन की पत्तियों के औषधीय प्रभाव में कमी आ जाती है।
कई बार ये विष युक्त भी हो जाती हैं।
इसी आधार पर मैंने वैज्ञानिक प्रमुख से उस वृक्ष को छोड़ देने को कहा जो कि स्केल इंसेक्ट से बुरी तरह से प्रभावित था।
उन्होंने स्वस्थ वृक्ष चुना और फार्मूले के लिए पत्तियां एकत्र कर ली।
जब उन्होंने फार्मूले को फिर से बनाया और उसे मनुष्य पर आजमाया तो उन्होंने पाया कि सारे दोष दूर हो चुके हैं।
अब उनका फार्मूला पूरी तरह से दोषरहित था।
पारंपरिक चिकित्सकों द्वारा दी गई यह महत्वपूर्ण जानकारी या कहें महत्वपूर्ण ज्ञान ने मेरी बहुत मदद की।
© पंकज अवधिया सर्वाधिकार सुरक्षित
यह श्रृंखला पंकज अवधिया के शोध ग्रंथ “My 100,000 cases of Diabetes in 25 years.” पर आधारित है।
परामर्श के लिए समय लेने के लिए ई मेल pankajoudhia@gmail.com
सम्बन्धित वीडियो
https://youtu.be/5Ab_FqWf3Cc
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