मधुमेह में मेटफॉर्मिन, सदासुहागन और बोगनवेलिया एक साथ, बिगाड़े बनती बात
मधुमेह (डायबीटीज) पर पंकज अवधिया का साप्ताहिक स्तम्भ
बुधवार 27 जून, 2018
मधुमेह में मेटफॉर्मिन, सदासुहागन और बोगनवेलिया एक साथ, बिगाड़े बनती बात
यदा-कदा होने वाली खून की उल्टियों से परेशान होकर मधुमेह के एक रोगी ने मुझसे फोन पर बात करने के लिए समय लिया।
मैंने उनसे उनकी पूरी रिपोर्ट मंगाई और उसके बाद फिर फोन में चर्चा के दौरान कुछ उपाय सुझाए।
पर इससे उन्हें कुछ विशेष लाभ नहीं हुआ।
कुछ समय के बाद उन्होंने फिर से मुझसे संपर्क किया।
इस बार वे रायपुर आकर मुझसे मिलना चाहते थे।
मैंने उनके आरंभिक परीक्षण किए और उसके बाद एक बार फिर से उन्हें कुछ उपाय सुझाए।
पर इस बार भी उन्हें अधिक लाभ नहीं हुआ।
और यदा-कदा खून की उल्टी होने का क्रम जारी रहा।
उन्होंने आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा का सहारा लिया पर इस समस्या के मूल तक नहीं पहुंच पाए।
कुछ महीनों बाद उनकी पत्नी का फोन आया कि अब खून की उल्टियां प्रतिदिन होने लगी हैं और उनकी हालत बहुत अधिक बिगड़ती जा रही है।
चूँकि मेरे द्वारा सुझाए गए उपायों से उनको कुछ लाभ हुआ था इसलिए उनकी पत्नी चाहती थी कि मैं नागपुर आऊं और उनका हाल जानू और इस आधार पर उन्हें कुछ सुझाव दूँ।
नागपुर पहुँचकर मैंने उनसे उस समय ली जा रही दवाओं के बारे में विस्तार से पूछा।
उन्होंने बताया कि वे मधुमेह के लिए मेटफॉर्मिन का प्रयोग कर रहे हैं और साथ ही कई तरह की घरेलू औषधियां इस्तेमाल कर रहे हैं।
उन्हें लीवर की समस्या भी थी इसीलिए इस समस्या के लिए वे आधुनिक दवाओं का सहारा ले रहे थे।
इसके अलावा वे एलोवेरा का जूस ले रहे थे और साथ ही गेहूं के जवारे का रस भी ले रहे थे।
वे रोज सुबह बोगनविलिया की पत्ती चबाते थे और साथ ही सदासुहागन की भी।
वे मीठा बिल्कुल भी नहीं खाते थे और नमक से भी परहेज रखते थे।
मैंने अपने अनुभव से यह जाना है कि मेटफॉर्मिन का प्रयोग बोगनविलिया की पत्ती और सदा सुहागन की पत्ती के साथ करने से बहुत से मामलों में उबकाई की समस्या दिखाई देती है।
इसलिए मेरा ध्यान इसी पर केंद्रित हो गया।
पुष्टि करने के लिए मैंने उनकी पत्नी से उस स्थान को दिखाने को कहा जहां से वे इन पौधों की पत्तियों को एकत्र करते थे।
जब हम वहाँ पहुंचे तो मैंने देखा कि जिस स्थान पर ये दोनों पौधे लगे थे वहाँ की जमीन पूरी तरह से सूखी हुई थी अर्थात ये पौधे पानी की कमी वाले स्थान पर उग रहे थे।
जब मैंने उनसे पूछा कि क्या इसमें आप सिंचाई नहीं करती हैं?
तो उन्होंने कहा कि महीने में एक या दो बार ही हम इसमें पानी डालते हैं।
समस्या की जड़ मिल गई थी।
साधारण परिस्थितियों में बोगनविलिया और सदासुहागन की पत्तियां उतनी नुकसानदायक नहीं होती है पर जब इन्हें बिना पानी या कम पानी के उगाया जाता है तो इन पत्तियों में जहरीलापन बढ़ जाता है और कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
जब इन जहरीली पत्तियों को मेटफॉर्मिन के साथ प्रयोग किया जाता है विशेषकर उस परिस्थिति में जबकि व्यक्ति का लीवर भी ठीक से काम नहीं कर रहा हो ऐसे में यह मिश्रण जानलेवा साबित होता है।
और कई तरह के लक्षण उत्पन्न होते हैं जिनमें खून की उल्टियां होना भी एक है।
फोन से बात करने पर और उनसे रायपुर में मुलाकात करने पर मैं यह नहीं जान पाया कि उन्होंने कम पानी देकर इन पौधों को उगाया है।
और इनकी पत्तियों का प्रयोग वे मेटफार्मिन के साथ कर रहे हैं।
वहां जाकर ही मैं यह जान पाया।
मैंने उन्हें सलाह दी कि आप इन पौधों की अच्छे से सिंचाई करें और उसके बाद ही इन पत्तियों का प्रयोग करें और बेहतर तो यही होगा कि बोगनविलिया, सदासुहागन और मेटफार्मिन का एक साथ प्रयोग न करें।
प्रभावित व्यक्ति ने मेरी सलाह मानी और उन्होंने पत्तियों का इस्तेमाल रोक दिया।
कुछ समय बाद ही उनकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो गया।
© पंकज अवधिया सर्वाधिकार सुरक्षित
यह श्रृंखला पंकज अवधिया की ई बुक “My 100,000 cases of Diabetes in 25 years.” पर आधारित है।
परामर्श के लिए समय लेने के लिए ई मेल pankajoudhia@gmail.com
सम्बन्धित वीडियो
https://youtu.be/MV0H_hJFUao
Comments
Post a Comment