मधुमेह में इन्सुलिन के साथ सर्प कन्द, किडनियां कर सकती हैं काम बंद

मधुमेह (डायबीटीज) पर पंकज अवधिया का साप्ताहिक स्तम्भ

बुधवार 18 जुलाई, 2018

मधुमेह में इन्सुलिन के साथ सर्प कन्द, किडनियां कर सकती हैं काम बंद

मुंबई से आने वाले एक ईमेल में मुझे एक ऐसे सिने अभिनेता के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मिली जिनकी दोनों किडनियां खराब होती जा रही थी।

ईमेल के साथ ढेर सारी रिपोर्ट थी और परामर्श के लिए समय मांगा गया था।

उन्होंने विशेष रूप से अनुरोध किया था कि यदि संभव हो तो मैं मुंबई आ जाऊँ क्योंकि वे इस स्थिति में नहीं थे कि रायपुर तक की यात्रा कर सकें।

मैंने उन्हें 1 सप्ताह बाद का समय दिया  और नियमित उड़ान से मुंबई जा पहुंचा।

मुझे बताया गया कि वे मधुमेह से पीड़ित हैं और साथ ही उन्हें हृदय रोग भी है।

उन्हें आधुनिक दवाओं पर कम विश्वास था इसीलिए उन्होंने उत्तराखंड के एक जाने-माने वैद्य से दवाई लेनी शुरू की।

पहले ह्रदय रोग की दवा शुरू हुई और उसके बाद फिर मधुमेह की पर जब दवाओं से मधुमेह नियंत्रण में नहीं आया तब उन्होंने आधुनिक चिकित्सक से सिंथेटिक इंसुलिन लेना शुरू किया।

वैध की दवा साथ में चलती रही।

इसके बाद उनकी किडनियां खराब होनी शुरू हो गई तब उन्होंने इसके लिए भी वैद्य की दवा को प्राथमिकता दी।

पर जब इस दवा से किडनियों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तब उन्होंने एक बार फिर से आधुनिक दवाओं का सहारा लिया।

पर इसके बाद भी जब उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और किडनी ट्रांसप्लांटेशन की बात होने लगी तब उन्होंने इंटरनेट खंगाला।

उन्हें क्रोनिक किडनी डिजीज पर बनाई गई मेरी 600 घंटों से अधिक की फिल्में दिखाई पड़ी।

इस आधार पर उन्होंने मुझसे संपर्क किया और मुंबई आकर परामर्श देने के लिए आमंत्रित किया।

हमेशा की तरह मैंने उनका आरंभिक परीक्षण किया और उसके बाद उनके खान-पान के बारे में विस्तार से जानकारी एकत्र की।

उसके बाद मैंने वैद्य के फार्मूले पर अपना ध्यान केंद्रित किया।

हृदय रोग के लिए जिस फार्मूले का प्रयोग वैद्य कर रहे थे वह अचूक था।

अभिनेता महोदय ने बताया कि इस फार्मूले से उन्हें बहुत अधिक लाभ हुआ इसीलिए उन्होंने पहले मधुमेह और उसके बाद किडनी रोगों के लिए वैद्य की दवाओं का सहारा लिया पर इससे आशातीत लाभ नहीं मिला।

वैद्य के फार्मूले में सर्प कंद नामक बूटी का प्रयोग किया गया था।

वैद्य ने इसे अष्टम घटक के रूप में प्रयोग किया था ।

प्रयोग करने से पूर्व 1 माह तक उन्होंने गोमूत्र की सहायता से इसे शोधित किया था और उसके बाद पारंपरिक विधि से उसे मिश्रण में शामिल किया था।

सब कुछ एकदम सही ढंग से किया गया था।

जब मेरी बात उन वैद्य से फोन पर हुई तो उन्होंने बताया कि इस फार्मूले की सहायता से उन्होंने असंख्य रोगियों को हृदय रोगों से मुक्ति दिलाई थी।

मैंने उनके इस पुण्य कार्य के लिए बहुत प्रशंसा की।

वे आधुनिक दवाओं के साथ पारंपरिक दवाओं की सकारात्मक और नकारात्मक प्रतिक्रियाओं के बारे में नहीं जानते थे इसीलिए उन्होंने अभिनेता महोदय से कहा कि सिंथेटिक इंसुलिन के साथ इस फार्मूले का प्रयोग जारी रखें।

इससे उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा।

यहीं पर वैद्य ने जाने अनजाने गलती कर दी।

मैंने अपने अनुभव से जाना है कि सिंथेटिक इंसुलिन और सर्प कंद के बीच बहुत से मामलों में नकारात्मक प्रतिक्रिया होती हैं।

विशेषकर जब किसी नुस्खे में सर्प कंद को अष्टम घटक के रूप में शामिल किया जाता है।

लंबे समय तक सिंथेटिक इंसुलिन और सर्प कंद का एक साथ प्रयोग शरीर में स्थाई रूप से कई समस्याओं को जन्म देता है।

इन दोनों को एक साथ प्रयोग करने से सबसे ज्यादा बुरा असर किडनियों पर पड़ता है और वे खराब होने लगती हैं।

रोगी को लगता है कि मधुमेह के कारण यह हो रहा है पर वास्तव में यह दवाओं की नकारात्मक प्रतिक्रियाएं होती हैं जो कि इसके लिए जिम्मेदार होती है।

आज के दौर में मुश्किल इस बात की है कि वैद्य अंग्रेजी दवाओं के प्रभाव के बारे में नहीं जानते और आधुनिक चिकित्सक पारंपरिक दवाओं के प्रभाव के बारे में।

और आज के जमाने में लोग दोनों दवाओं को एक साथ प्रयोग करते हैं और नई-नई समस्याओं के शिकार हो जाते हैं।

मैंने जब खुलासा किया कि दवाओं की नकारात्मक प्रतिक्रियाओं के कारण किडनी की समस्या है वरना किडनी अपने आप में स्वस्थ है तो उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा।

मैंने उन्हें सलाह दी कि वे वैद्य से कहकर अपने फार्मूले में परिवर्तन करवा ले जिससे कि वे इंसुलिन के साथ इसका प्रयोग कर सकें और उनकी किडनियाँ भी बची रहे।

वैद्य अपने फार्मूले में परिवर्तन करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे।

उन्होंने कहा कि यदि अभिनेता चाहे तो उनकी दवा बंद कर सकते हैं।

मेरे बहुत समझाने पर उन्होंने अपने फार्मूले में थोड़ा सा परिवर्तन करने का मन बनाया।

मैंने उनकी शोधन विधि में सुधार किया और उन से अनुरोध किया कि वे सर्प कंद को अष्टम घटक की बजाय चतुर्थक घटक की तरह प्रयोग करें और साथ ही अपने फार्मूले में दो और जड़ी बूटियां भी मिलाएं ताकि यह फॉर्मूला दोषरहित हो सके।

इस पहली मुलाकात के 3 महीनों के बाद मुझे फिर से मुंबई बुलाया गया।

उस समय तक उनकी किडनियां ठीक से काम करने लगी थी और धीरे-धीरे उनकी हालत में सुधार हो रहा था।

वैद्य जी का फार्मूला और इंसुलिन का प्रयोग जारी था।

मुझे यह देखकर बड़ी तसल्ली हुई।

©  पंकज अवधिया सर्वाधिकार सुरक्षित

परामर्श के लिए समय लेने के लिए ई मेल pankajoudhia@gmail.com

सम्बन्धित वीडियो

https://youtu.be/M5Fp7LrGu40

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