मधुमेह में ब्लैक राइस उपयोगी पर सभी ब्लैक राइस नही
मधुमेह (डायबीटीज) पर पंकज अवधिया का साप्ताहिक स्तम्भ
बुधवार 01 अगस्त, 2018
मधुमेह में ब्लैक राइस उपयोगी पर सभी ब्लैक राइस नही
कुछ वर्षों पहले मधुमेह के कारण आंखों की रोशनी कम होने की शिकायत लिए एक ईमेल मुझे अमेरिका से प्राप्त हुआ।
ईमेल भेजने वाले सज्जन अपनी दोनों आंखें तेजी से खोते जा रहे थे।
उन्होंने फोन पर बात करने का समय मांगा और फिर जब हमारी बात हुई तब ऐसा लगा कि या तो मुझे उनके पास जाकर पूरी जानकारी लेनी चाहिए या उन्हें भारत आकर मुझसे मिलना चाहिए।
उन्होंने भारत आकर मुझसे मिलने का विकल्प चुना।
मुंबई में मुलाकात के दौरान उन्होंने बताया कि वे पिछले 15 वर्षों से डायबिटीज से प्रभावित हैं और दवा के नाम पर केवल मेटफॉर्मिन का प्रयोग कर रहे हैं।
इससे उनका डायबिटीज नियंत्रण में है पर फिर भी डायबिटीज के कारण उनकी आंखों की रोशनी तेजी से कम होती जा रही है।
उन्होंने बताया कि वे स्वयं एक डॉक्टर हैं और अमेरिका के राष्ट्रपति के चिकित्सा सलाह मंडल में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
उन्होंने बहुत तरह के उपाय आजमाएं और फिर थक हार कर निराश हो गए।
उन्होंने बताया कि वे केरल के एक वैद्य से दवा ले रहे हैं लेकिन इससे भी उन्हें लाभ नहीं हो रहा है।
मेरे अनुरोध पर उन्होंने केरल के उस वैद्य को मुलाकात के दौरान बुलवा लिया था।
केरल के वैद्य ने बताया कि वे नवारा जिसे निवार भी कहते हैं नामक औषधीय चावल के साथ एक विशेष तरह का ब्लैक राइस मिलाकर औषधि के रूप में प्रयोग कर रहे हैं।
उनका दावा था कि इससे डायबिटीज के कारण होने वाले नुकसानों से पूरी तरह से बचा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि यह उनका पारंपरिक ज्ञान है और दो प्रकार के औषधि चावलों से ही वे रोगियों को लाभ पहुंचाते हैं ।
नवारा से मैं परिचित था पर जो ब्लैक राइस का इस्तेमाल कर रहे थे वे उसे कर्नाटक के किसानों से एकत्र करते थे।
जब उन्होंने इस ब्लैक राइस का नाम बताया तो मैं चौक गया।
इस ब्लैक राइस का प्रयोग पारंपरिक चिकित्सा में मधुमेह की चिकित्सा के लिए तो होता है पर इसके प्रयोग के समय बहुत अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
मैंने अपने अनुभव से वैद्य को बताया कि नवारा के साथ इसका प्रयोग संभलकर करना चाहिए अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है।
मैंने उन्हें यह भी बताया कि इस ब्लैक राइस के साथ मेटफॉर्मिन का प्रयोग नुकसानदायक हो सकता है और मुझे लगता है कि इन सज्जन की आंखों की रोशनी कम होने के पीछे यह देसी और विदेशी दवाओं के बीच होने वाली नकारात्मक प्रतिक्रिया ही है।
मेरी बात सुनकर वैद्य ने कहा कि उन्हें इस बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी।
अमेरिका से आए सज्जन ने जब पूरी बात सुनी तो उन्होंने वैद्य की दवा रोकने का मन बनाया और फिर मुझसे उपाय पूछने लगे।
मैंने उनसे कहा कि डायबिटीज के कारण आंखों की रोशनी कम होने की चिकित्सा के लिए हमारे देश के पारंपरिक चिकित्सक पांच प्रकार के विशेष ब्लैक राइस का प्रयोग करते हैं।
पर मुश्किल यह है कि यह ब्लैक राइस बाजार में नहीं मिलते हैं।
इन्हें अलग-अलग राज्यों के किसान अलग-अलग उद्देश्यों के लिए लगाते हैं ।
और उनके पास जाकर ही इन्हें एकत्र किया जा सकता है।
इसके लिए मुझे 15 दिनों का समय चाहिए था ताकि मैं इन किसानों से मिलकर इन पांच प्रकार की ब्लैक राइस को एकत्र कर सकूँ और उनसे एक पारंपरिक व्यंजन तैयार कर सकूँ।
यह उन सज्जन को लाभ पहुंचा सकता था।
उन्होंने सहमति दे दी।
परामर्श शुल्क के साथ उन्होंने मेरी यात्रा की व्यवस्था भी कर दी।
15 दिनों के बाद जब मैं पारंपरिक व्यंजन लेकर उनके पास पहुंचा तो केरल से आए वैद्य भी उनके साथ थे।
उन्होंने भी इस पारंपरिक व्यंजन में रुचि दिखाई।
मैंने उन्हें बताया कि 1 महीने तक इसके लगातार प्रयोग से आंखों की रोशनी के कम होने का क्रम रुक सकता है और फिर एक बार लाभ होने पर इसमें और भी प्रकार के औषधीय चावल मिलाकर इसे समृद्ध किया जा सकता है।
और मुझे उम्मीद है कि अगले 6 महीनों में आपके आंखों की रोशनी सामान्य हो सकती है।
अमेरिका से आए सज्जन ने इसे आजमाने का निर्णय लिया और धीरे-धीरे उनकी आंखों की रोशनी वापस आने लगी और डायबिटीज में भी लाभ होने लगा।
© पंकज अवधिया सर्वाधिकार सुरक्षित
परामर्श के लिए समय लेने के लिए ई मेल pankajoudhia@gmail.com
सम्बन्धित वीडियो
https://youtu.be/aI8sm8S7dKg
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