मधुमेह में मेटफॉर्मिन और Lipitor के साथ तेलिया कंद का प्रयोग घातक

मधुमेह (डायबीटीज) पर पंकज अवधिया का साप्ताहिक स्तम्भ

बुधवार 05 सितम्बर, 2018

मधुमेह में मेटफॉर्मिन और Lipitor के साथ तेलिया कंद का प्रयोग घातक

हवाई यात्रा करके कोलकाता, फिर दार्जिलिंग मेल से जलपाईगुड़ी और उसके बाद थका देने वाली यात्रा के बाद जब मैं दार्जिलिंग पहुंचा तो जिन्होंने मुझे बुलाया था उनकी हालत बहुत अधिक बिगड़ चुकी थी।

इस बीच मुंबई से 2 बड़े डॉक्टर भी बुला लिए गए थे।

मुझे बताया गया है कि 40 वर्षीय व्यक्ति बहुत बुरी हालत में है।

वे बिस्तर से उठ नहीं पा रहे हैं और उन्हें बहुत अधिक कमजोरी महसूस हो रही है।

कोलकाता के डॉक्टर जब इस मर्ज को समझ नहीं पाए तब उन्होंने न केवल भारत बल्कि दुनिया भर से डॉक्टरों को बुलवाया और उनसे इलाज करवाया पर फिर भी कमजोरी किसी भी तरह से कम नहीं हुई।

उनका खान-पान तो सामान्य था और उन्हें किसी भी तरह की गंभीर बीमारी नहीं थी फिर भी अचानक से इतनी अधिक कमजोरी आना किसी गंभीर बीमारी का सूचक माना जा रहा था।

मुझे बताया गया कि वे मधुमेह से पीड़ित हैं और उसके लिए मेटफॉर्मिन नामक दवा का प्रयोग डॉक्टर की निगरानी में कर रहे हैं।

वे Lipitor नामक दवा का सेवन भी कर रहे हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करती है।

इन दोनों दवाओं के अलावा वे स्थानीय वैद्य से ताकत के लिए एक नुस्खा भी ले रहे थे।

जब मैं दार्जिलिंग पहुंचा तब उनके स्थानीय वैद्य से मुलाकात हुई।

उन्होंने बताया कि उन्होंने 10 तरह के कंद को मिलाकर यह नुस्खा तैयार किया है।

उन्होंने जब कन्दों के बारे में विस्तार से बताया तो 9 प्रकार के कन्दों के बारे में मुझे विस्तार से जानकारी मिल गई पर एक कंद को लेकर कुछ उलझन थी।

वे मुझे अपने घर लेकर गए और फिर बाड़ी में उग रहे उस कंद को दिखाया।

यह भी बताया कि उन्होंने छत्तीसगढ़ के जंगलों से इसे एकत्र किया था।

मैंने इस कंद की पहचान तेलिया कंद के रुप में की जो कि बहुत दुर्लभ है।

प्रभावित व्यक्ति के बहुत सारे टेस्ट हो चुके थे और बहुत सारे टेस्ट अभी भी चल रहे थे ताकि रोग के मूल का पता चल सके पर किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था।

मैंने उनके खान-पान के बारे में विस्तार से जानकारी एकत्र की और फिर गहन चिंतन में डूब गया।

मेरा ध्यान बार-बार तेलिया कंद की ओर जा रहा था जिसका प्रयोग बहुत ही विवेकपूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए।

इस कन्द की दूसरे कंदों की तरह आधुनिक और दूसरी दवाओं से सकारात्मक और नकारात्मक प्रतिक्रियाएं होती हैं जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।

मैंने वहां उपस्थित डॉक्टरों को बताया कि मैं स्वयं डॉक्टर नहीं हूँ, केवल देश के पारंपरिक  चिकित्सकीय ज्ञान का दस्तावेजीकरण कर रहा हूं और अगर आप इस आधार पर मेरी राय जानना चाहे तो मैं तैयार हूँ।

वे शायद मेरे बारे में जानते थे।

उन्होंने हामी भर दी।

मैंने उन्हें विस्तार से समझाया कि तेलिया कंद की मेटफॉर्मिन और Lipitor दोनों के साथ विशेष प्रतिक्रियाएं होती हैं।

उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि प्रभावित व्यक्ति को पेशाब करने में भी दिक्कत हो रही थी।

यह मेटफॉर्मिन और तेलिया कंद के बीच होने वाली नकारात्मक प्रतिक्रिया के कारण हो रहा था जबकि इतनी अधिक कमजोरी Lipitor और तेलिया कंद के बीच होने वाली नकारात्मक प्रतिक्रिया के कारण हो रही थी।

मैंने सलाह दी कि तेलिया कंद वाले नुस्खे का प्रयोग यदि बंद कर दिया जाए तो 24 घंटों के अंदर स्थिति में तेजी से सुधार हो सकता है।

उनके परिवार वाले इस बात के लिए तैयार हो गए और उन्होंने 2 दिनों तक मेरे रुकने की व्यवस्था कर दी।

तेलिया कंद की खुराक बंद होते ही 6 से 7 घंटों में इसका असर दिखने लगा और 15 से 20 घंटों में प्रभावित व्यक्ति अपने पैरों से चलकर बाथरूम जाने लगे।

इस तरह आने वाले घंटों में स्थिति में तेजी से सुधार होने लगा।

इस बीच मैंने वैद्य से भी मुलाकात की और उन्हें बताया कि कैसे उनका नुस्खा आधुनिक दवाओं से मिलकर नकरात्मक प्रभाव उत्पन्न कर रहा था।

उन्हें यह जानकर बड़ा आश्चर्य हुआ।

मैंने उन्हें सलाह दी कि वे नुस्खे से तेलिया कंद हटा दें और उसके स्थान पर वाराही कंद का प्रयोग करें तो इन दो आधुनिक दवाओं के साथ भी उनके नुस्खे का प्रयोग जारी रह सकता है।

वे इसके लिए तैयार हो गए पर प्रभावित व्यक्ति के परिवार-जन इसके लिए तैयार नहीं हुए और उन्होंने दो आधुनिक दवाओं का प्रयोग जारी रखने का मन बनाया।

कभी-कभी मैं अपने आपको एक जासूस की तरह महसूस करता हूं जिसे हमेशा सुराग की तलाश रहती है और सुराग मिलते ही सारी समस्याओं का समाधान हो जाता है।

©  पंकज अवधिया सर्वाधिकार सुरक्षित

परामर्श के लिए समय लेने के लिए ई मेल pankajoudhia@gmail.com

सम्बन्धित वीडियो

https://youtu.be/-uur53gQIYg

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