मधुमेह की बूटी से अग्नाशय का कैंसर, अधूरा ज्ञान बर्बादी में न छोड़े कोई कसर

मधुमेह (डायबीटीज) पर पंकज अवधिया का साप्ताहिक स्तम्भ

बुधवार 11 जुलाई, 2018

मधुमेह की बूटी से अग्नाशय का कैंसर, अधूरा ज्ञान बर्बादी में न छोड़े कोई कसर

बहुत कम समय के अंतराल में जब 200 से अधिक ऐसे रोगियों ने मुझसे संपर्क किया जो कि अग्नाशय के कैंसर (Pancreatic Cancer) से प्रभावित थे और उन सब में एक बात आम थी कि वे सभी विदर्भ के एक विशेष क्षेत्र से आए थे।

तब मुझे यह सब अजीब लगा।

मैंने यह भी गौर किया कि वे सभी मधुमेह से प्रभावित थे और उन्होंने मधुमेह की चिकित्सा के लिए एक विशेष वैद्य से संपर्क किया था।

और उनकी दवा लंबे समय तक ली थी।

यह बात चौंकाने वाली थी।

मैंने निश्चय किया कि मैं एक बार उस वैद्य से मिलूंगा और उसके बाद यह पता लगाने की कोशिश करूंगा कि आखिर क्यों इतनी बड़ी संख्या में अग्नाशय के कैंसर से प्रभावित लोग उनकी दवा लेने के बाद मेरे पास आ रहे हैं।

परामर्श के लिए जब मैं उस वैद्य से मिलने विदर्भ पहुंचा तो मुझे पता चला कि एक नहीं दो-दो वैद्य हैं जो कि मधुमेह की चिकित्सा में दक्ष माने जाते हैं और बड़ी संख्या में देशभर के लोग उनसे चिकित्सा करवाने आते हैं।

ये दोनों ही वैद्य भाई थे और मिलकर रोगियों को दवा देते थे।

मैं भी मरीज बनकर उनसे मिला और फिर अपना परिचय दिया।

आज के इंटरनेट के युग में अक्सर लोग एक दूसरे को पहचान जाते हैं।

उन्होंने मेरे लिखे लेख पढ़े थे और साथ ही जड़ी बूटियों पर मेरे शोध के बारे में उन्हें जानकारी दी।

उन्होंने मुझे पहचान लिया और मुझे एक रात उनके साथ रुकने के लिए आमंत्रित किया मेहमान के रूप में।

मैंने उनका आग्रह स्वीकार कर लिया।

रात को भोजन के वक्त उन्होंने बताया कि उनके पिता मधुमेह की चिकित्सा में पारंगत थे और उनके देहांत के बाद उन दोनों भाइयों ने इस परंपरा को जारी रखा है।

उचित अवसर देखकर मैंने उनसे पूछा कि क्या आपको लगता नहीं कि आप की दवा से भले ही मधुमेह में लाभ होता है पर बहुत से मरीज अग्नाशय के कैंसर से ग्रसित हो जाते हैं।

बड़े भाई ने इस से साफ इनकार किया और नाराजगी भी प्रकट की पर छोटे भाई ने माना कि उसे भी ऐसा लगता है कि फॉर्मूले में कुछ दोष है।

उसने खुलासा किया कि उसके पिता ने शायद फार्मूले की पूरी जानकारी उन्हें नहीं दी थी ।

और साथ ही यह भी बताया कि फार्मूले को प्रभावी बनाने के लिए उन्होंने उसमें और भी नई जड़ी-बूटियां मिलाई हैं।

छोटा भाई विस्तार से फार्मूले के बारे में बताने के लिए तैयार हो गया।

उनके पिता के समय प्रयोग किया जाने वाला फॉर्मूला एकदम सटीक था।

उसमें किसी भी प्रकार का दोष नहीं था।

इस फार्मूले में 25 प्रकार की जड़ी बूटियां प्रयोग की जाती थी।

सारी जड़ी बूटियां उनके पिता स्वयं एकत्र करते थे और शोधन के बाद फार्मूले में उपयोग करते थे।

सभी रोगियों को एक ही फार्मूला नहीं दिया जाता था बल्कि रोगियों की दशा के अनुसार फार्मूले में जड़ी बूटियां बढ़ाई और घटाई जाती थी।

उनके पिता को इस फार्मूले के बारे में जानकारी अपने पिता से मिली थी और यह उनका पारंपरिक ज्ञान था।

पिता ने पूरी जानकारी शायद दोनों भाइयों को नहीं दी थी इसलिए आधी अधूरी जानकारी के आधार पर जब उन्होंने रोगियों को दवा देना जारी रखा तो रोगियों को वैसा लाभ नहीं हुआ जैसा कि पहले होता था।

यह देखकर बड़े भाई ने 2-3 नई जड़ी-बूटियों इस फार्मूले में शामिल की।

मैंने इन नई जड़ी बूटियों के बारे में विस्तार से जानकारी एकत्र की तो पता चला कि उसमें वे सूरज कंद नामक एक जड़ी बूटी का प्रयोग करते हैं जिसे कि पास के जंगलों से एकत्र किया जाता है।

नमूने के तौर पर उन्होंने मुझे इस कन्द को दिखाया तो मैंने इसकी पहचान विष कंद के रूप में की।

इस कंद का नाम 100 उन शीर्ष जड़ी बूटियों में शामिल है जिनका प्रयोग अग्नाशय के लिए हानिकारक है और बहुत अधिक शोधन करने के बाद भी इसमें विष की मात्रा बच ही जाती है।

सारी समस्या की जड़ यही थी।

मैंने अपने लेखों में पहले लिखा है और साथ ही डायबिटीज वैज्ञानिक रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि विष कंद अग्नाशय के लिए अभिशाप है और किसी भी फार्मूले में इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

मैंने यह बात छोटे भाई को बताई तो उसने आश्चर्य व्यक्त किया।

उसने बताया कि बवासीर और ह्रदय रोगों की चिकित्सा के लिए इस कंद का प्रयोग आसपास के बहुत से पारंपरिक चिकित्सक करते हैं।

साथ ही बड़ी मात्रा में जंगल से इसका एकत्रण होता है और देश भर की दवा कंपनियां इसकी खरीद करती हैं।

यह चौंकाने वाली बात थी।

मेरे समझाने पर दोनों भाई फार्मूले से विष कंद को हटाने के लिए तैयार हो गए और उनका फार्मूला दोषरहित हो गया।

उसके बाद कई वर्षों तक फिर इतनी अधिक संख्या में अग्नाशय कैंसर से प्रभावित विदर्भ के उस क्षेत्र के लोगों ने मुझसे संपर्क नहीं किया।

यह एक अच्छी बात थी।

©  पंकज अवधिया सर्वाधिकार सुरक्षित

परामर्श के लिए समय लेने के लिए ई मेल pankajoudhia@gmail.com

सम्बन्धित वीडियो

https://youtu.be/DZFK5QkyKbk

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