ऐसे मुक्ति मिली सफेद दाग यानि ल्यूकोडर्मा से डायबिटीज़ के रोगी को

मधुमेह (डायबीटीज) पर पंकज अवधिया का साप्ताहिक स्तम्भ

बुधवार 15 अगस्त, 2018

ऐसे मुक्ति मिली सफेद दाग यानि ल्यूकोडर्मा से डायबिटीज़ के रोगी को

कुछ वर्ष पूर्व मुझसे एक सज्जन मिलने आए जिन्हें सफेद दाग यानी ल्यूकोडर्मा की शिकायत थी।

उनके पूरे शरीर में दाग हो गए थे पर चेहरा बचा हुआ था।  उन्होंने बताया कि उन्होंने इसके लिए सारे उपाय कर लिए, सारी पैथियाँ आजमा ली परंतु फिर भी उन्हें राहत नहीं मिली।

चूंकि वे आर्थिक रूप से सक्षम थे इसलिए उन्होंने अमेरिका और यूरोप में भी अपनाए जाने वाले उपायों को आजमा कर देखा पर उन्हें लाभ नहीं हुआ।

उन्होंने बताया कि ये दाग पिछले कुछ महीनों से बहुत तेजी से फैल रहे हैं और उन्हें डर था कि ये कही चेहरे तक न पहुंच जाए।

वे मधुमेह के मरीज थे और चिकित्सक की निगरानी में मेटफॉर्मिन का नियमित प्रयोग कर रहे थे।

इससे उनका डायबिटीज नियंत्रण में नहीं था इसीलिए उन्होंने उत्तर भारत के एक पारंपरिक चिकित्सक से भी दवा लेनी शुरू की थी।

उस दवा में मुख्य घटक के रूप में पनीर फूल का प्रयोग किया गया था। उन्होंने मुझे इस फार्मूले के बारे में विस्तार से बताया और उस चिकित्सक का भी नाम बताया जिनके मार्गदर्शन में वे  इसका प्रयोग कर रहे थे।

पनीर फूल के अलावा इस नुस्खे में 18 और औषधियां थी और उन्होंने बताया कि इन दोनों दवाओं के एक साथ प्रयोग से अब उनका मधुमेह कंट्रोल में था।

उन्होंने परामर्श के लिए आधे घंटे का समय लिया था पर उनकी समस्या को देखते हुए मैंने उन्हें 2 घंटे का समय दिया और विस्तार से उनके खान-पान और रोग के विषय में जानकारी प्राप्त की।

मैंने कुछ परीक्षण भी किए जिनमें पैरों में विशेषकर पैरों के तलवों में लगाई जाने वाली जड़ी बूटियों वाला परीक्षण भी शामिल था।

काफी मशक्कत के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि ल्यूकोडर्मा का फैलाव मेटफॉर्मिन और पनीर फूल वाले फार्मूले के कारण हो रहा था।

ये दोनों दवाएं आपस में नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करती हैं जिससे कई तरह की स्वास्थ समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।

ल्यूकोडर्मा का तेजी से फैलना उनमें से एक है।

मैंने उन्हें कोई दवा नहीं दी न ही खान-पान में किसी भी प्रकार के परहेज की बात की।

बस यही कहा कि आप दोनों दवाओं में से एक दवा का सेवन रोक दें और 15 दिनों के बाद मेरे पास फिर से आए।

उन्होंने मेरी बात मानी और पनीर फूल वाले फार्मूले का प्रयोग कुछ समय के लिए रोक दिया।

परिणाम सकारात्मक रहे।

ल्यूकोडर्मा का फैलाव बिल्कुल रुक गया।

जब वे दोबारा मुझसे मिलने आए तो मैंने उनसे कहा कि वे इस प्रयोग को लंबे समय तक आजमाएं।

मुझे विश्वास है कि इससे उनके सफेद दाग सामान्य त्वचा में बदल जाएंगे और उन्हें इस पुरानी समस्या से मुक्ति मिल जाएगी।

1 वर्ष बाद जब उन्होंने फिर से मुझसे मिलने का समय लिया तो उन्होंने बताया कि दाग फिर से तेजी से फैलने लगे हैं।

इस बार सारा दोष स्टीविया का निकला जिसका प्रयोग वे बिना किसी चिकित्सक के परामर्श अनुसार मेटफॉर्मिन के साथ कर रहे थे।

मेरी बात मान कर उन्होंने स्टीविया का प्रयोग रोक दिया और एक बार फिर दागों का फैलना पूरी तरह से रुक गया।

डेढ़ वर्ष बाद जब वे मुझसे मिलने आए तो उन्होंने बताया कि स्थिति बिलकुल वैसी की वैसी है यानि कि दागों का फैलना रुक गया है पर सामान्य त्वचा नहीं आ रही है।

मैंने एक बार फिर से उनका पूरा परीक्षण किया पारंपरिक विधियों से और फिर उन्हें सलाह दी कि वे एक विशेष प्रकार के चूर्ण का प्रयोग लेप के रूप में करें।

इस लेप का प्रयोग दाग पर नहीं करना था अपितु आधे घंटे के लिए दोनों पैरों के तलवों पर इसे लगाना था और सूखने के लिए छोड़ देना था।

मैंने उनसे इस प्रयोग को 1 महीने तक आजमाने को कहा और साथ ही खाने के लिए कुछ विशेष प्रकार के औषधीय चावल दिए।

एक महीने बाद जब वे मुझसे मिलने आए तो उनके दाग  हल्के होने लगे थे और फिर धीरे धीरे 3 वर्षों के समय में पूरी तरह से गायब हो गए।

इस रोचक केस के बारे में विस्तार से मैंने अपनी डायबिटीज पर आधारित वैज्ञानिक रिपोर्ट में लिखा है।

अंग्रेजी और देसी दवाओं की आपस में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रकार की प्रतिक्रियाएं होती हैं पर मुश्किल यह है कि इसके बारे में किसी ने विस्तार से शोध नहीं किया है।

यही कारण है कि हमारी बहुत सारी समस्याओं की जड़ ये नकारात्मक प्रतिक्रियाएं हैं और दवाओं का संभलकर प्रयोग करने से बहुत सारी स्वास्थ समस्याओं से बचा जा सकता है।

©  पंकज अवधिया सर्वाधिकार सुरक्षित

ई मेल pankajoudhia@gmail.com

कृपया इस बात का ध्यान रखें कि मैं पेशे से चिकित्सक (Doctor or Medical  Practitioner) नही हूँ. मैं पिछले २५ वर्षों से भारत के पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान का दस्तावेजीकरण कर रहा हूँ. इस आधार पर आप मुझसे किसी मेडीकल केस पर चर्चा करना चाहते हैं तो बेहतर यही होगा कि आप अपने डाक्टर के साथ मुझसे मिलें. यदि यह सम्भव नही है तो मेरे द्वारा सुझाए गये उपायों को अपनाने से पहले अपने निजी डाक्टर की सहमति ले ले.

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