एक ऐसी बूटी दिखाई जिसका लेप हाथ की कलाई में लगाने पर ब्लड शुगर कम होने लगता था

मधुमेह (डायबीटीज) पर पंकज अवधिया का साप्ताहिक स्तम्भ
बुधवार 22 अगस्त, 2018

नब्बे के दशक में बस्तर के एक पारम्परिक चिकित्सक ने जंगल भ्रमण के दौरान एक ऐसी बूटी दिखाई जिसका लेप हाथ की कलाई में लगाने पर ब्लड शुगर कम होने लगता था।
पर इस प्रक्रिया को शुरू होने में एक घंटा लग जाता था। एक बार ब्लड शुगर कम होने लगता था तो फिर कम होता चला जाता था तेजी से। इतना कम कि रोगी की जान पर बन आती थी।
10 वर्षों के बाद जब मैं कोंकण क्षेत्र के पारंपरिक चिकित्सक से मिला और उन्हें इस बूटी के बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि इस विषय में आप का ज्ञान अधूरा है।
उन्होंने कहा कि उन्हें इस बूटी के बारे में पहले से ही पता है पर वह इसका प्रयोग एक अन्य बूटी के साथ करते हैं जिसके कारण इस बूटी का दोष समाप्त हो जाता है।
मैंने अपने अनुभव से जाना कि जब दोनों बूटी को मिलाकर प्रयोग करते हैं तब ब्लड शुगर सुरक्षित सीमा तक ही कम होता है और रोगी को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है।
आज दोनों ही पारंपरिक चिकित्सक हमारे बीच नहीं है पर उनका बहुमूल्य ज्ञान दस्तावेज के रुप में हमारे बीच है। मैंने अपनी मधुमेह से संबंधित वैज्ञानिक रपट में इस ज्ञान के बारे में विस्तार से लिखा है। यह रपट ऑनलाइन है और इसमें 600000 से अधिक पन्ने हैं।
इन दोनों पारंपरिक चिकित्सकों के परिवारों को आर्थिक लाभ दिलाने के उद्देश्य से मेरे मन में एक योजना आई कि क्यों न इन दोनों बूटियों की मदद से एक ऐसी राखी तैयार की जाए जिसे कि बहनें अपने मधुमेह से प्रभावित भाइयों को बांधे और कम से कम 1 महीने तक भाइयों को मधुमेह से बचा कर रखें।
हाल ही में एक युवा उद्यमी ने इस दिशा में पहल की है और ऐसी राखी तैयार करने का बीड़ा उठाया है। इस बात का ध्यान रखते हुए कि किसी भी प्रकार से पारंपरिक चिकित्सकों के परिवारों के आर्थिक हित प्रभावित न हो पर मुझे लगता है कि व्यवसायिक उत्पाद के रूप में इस राखी को बाजार में आने में कम से कम 5 वर्षों का समय लग जाएगा।
फिलहाल यह ज्ञान उन रोगियों की मदद कर रहा है जोकि जी भर कर मीठा खाना चाहते हैं बिना अपने स्वास्थ्य को प्रभावित किए।
आप सभी को राखी की अग्रिम शुभकामनाएं।
©  पंकज अवधिया सर्वाधिकार सुरक्षित
ई मेल pankajoudhia@gmail.com

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